ओटीटी पर 'स्टोलन' का प्रभाव
यथार्थवादी और विचलित करने वाली फिल्म
कभी-कभी यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स नहीं होते, तो 'स्टोलन' जैसी बेहतरीन फिल्में, जिनमें न कोई बड़ा सितारा है, न कोई गाना, केवल एक सच्ची और दिल को छू लेने वाली कहानी है, हम तक कैसे पहुंचतीं? डेढ़ घंटे की इस फिल्म को दर्शकों तक पहुंचने में दो साल लग गए, और अब यह प्राइम वीडियो के माध्यम से ही अपनी पहचान बना रही है।
यथार्थवादी और विचलित करने वाली फिल्म
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